Gayatri Chalisa | Gayatri Chalisa Lyrics | Gayatri Chalisa PDF

Gayatri Chalisa (गायत्री चालीसा) हिंदी पीडीएफ इस लेख में नीचे दिए गए लिंक से डाउनलोड करें। यदि आप गायत्री चालीसा हिंदी पीडीएफ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर हैं। इस लेख में हम आपको दे रहे हैं गायत्री चालीसा (गायत्री चालीसा) के बारे में संपूर्ण जानकारी और पीडीएफ का सीधा डाउनलोड लिंक।

Gayatri Chalisa PDF – हिन्दी अनुवाद सहित

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अथर्ववेद नामक एक विशेष पुस्तक में, यह गायत्री नामक चीज़ के बारे में बात करता है। इसमें कहा गया है कि अगर हम सही तरीके से गायत्री की पूजा करते हैं, तो हमें सात अच्छी चीजें मिलेंगी: बड़ा होना, एक अच्छा जीवन, दोस्त और परिवार, जानवर खुश रहना, लोग हमें जानते हैं, पर्याप्त पैसा होना और एक विशेष उज्ज्वल ऊर्जा। जब हम गायत्री की विधिवत पूजा करते हैं तो यह हमारे चारों ओर एक विशेष कवच तैयार कर देती है जो बुरी घटना होने पर हमें सुरक्षित रखती है।

Gayatri Chalisa

Gayatri Chalisa Lyrics in Hindi

गायत्री चालीसा हिन्दी अनुवाद सहित

!! दोहा !!

ह्रीं श्रीं क्लीं मेधा प्रभा जीवन ज्योति प्रचण्ड
शान्ति कान्ति जागृत प्रगति रचना शक्ति अखण्ड
जगत जननी मङ्गल करनि गायत्री सुखधाम
प्रणवों सावित्री स्वधा स्वाहा पूरन काम

हिन्दी अनुवाद:- हे मां गायत्री आप शिव की तरह कल्याणकारी हैं इसलिए मेरे दुखों का हरण करें, आप ही संसार की समस्त दरिद्रता को दूर करने वाली हैं, हे मां मेरी दरिद्रता को दूर करें, हे मां आप ही योगमाया हैं इसलिए मेरे कष्टों का निवारण करें। हे मां जीवन में ज्ञान रुपी ज्योति आपकी कृपा से ही जल सकती है। आप ही शांति हैं, आप से ही जीवन में रौनक है, आप ही परिवर्तन, जागरण, विकास व रचनात्मकता की अखंड शक्ति हैं। हे मां गायत्री आप सुखों का पवित्र स्थल हैं, आप कल्याणकारी हैं व इस संसार की जननी भी आप ही हैं। आपका स्मरण, आपका ध्यान, आपका जाप ओश्म् की तरह ईश्वर की साधना के लिए किया जाता है व आपके जाप से सारे काम पूर्ण होते हैं और विघ्नों का नाश हो जाता है।

!! चौपाई !!

भूर्भुवः स्वः युत जननीगायत्री नित कलिमल दहनी
अक्षर चौविस परम पुनीताइनमें बसें शास्त्र श्रुति गीता
शाश्वत सतोगुणी सत रूपासत्य सनातन सुधा अनूपा
हंसारूढ श्वेताम्बर धारीस्वर्ण कान्ति शुचि गगनबिहारी
पुस्तक पुष्प कमण्डलु मालाशुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला

हिन्दी अनुवाद:- हे प्राणस्वरुप दुखनाशक सुख स्वरुप गायत्री मां परमात्मा के साथ मिलकर तीनों लोकों की जननी आप ही हैं। हे गायत्री मां आप इस कलियुग में पापों का दलन करती हैं। आपके मंत्र (गायत्री मंत्र) के 24 अक्षर सबसे पवित्र हैं ( वेदों का सबसे महत्वपूर्ण व फलदायी मंत्र गायत्री मंत्र को ही माना जाता है)। इन चौबीस अक्षरों में सभी वेद शास्त्र श्रुतियों व गीता का ज्ञान समाया हुआ है। आप सदा से सतोगुणी सत्य का रुप हैं। आप हमेशा से सत्य का अनूठा अमृत हैं। आप श्वेत वस्त्रों को धारण कर हंस पर सवार हैं, आपकी कान्ति अर्थात आपकी चमक स्वर्ण यानि सोने की तरह पवित्र हैं व आप आकाश में भ्रमण करती हैं। आपके हाथों में पुस्तक, फूल, कमण्डल और माला हैं आपके तन का रंग श्वेत है व आपकी बड़ी बड़ी आखें भी सुंदर लग रही हैं।

ध्यान धरत पुलकित हिय होईसुख उपजत दुःख दुर्मति खोई
कामधेनु तुम सुर तरु छायानिराकार की अद्भुत माया
तुम्हरी शरण गहै जो कोईतरै सकल संकट सों सोई
सरस्वती लक्ष्मी तुम कालीदिपै तुम्हारी ज्योति निराली
तुम्हरी महिमा पार पावैंजो शारद शत मुख गुन गावैं

हिन्दी अनुवाद:- हे मां गायत्री आपका ध्यान धरते ही हृद्य अति आनंदित हो जाता है, दुखों व दुर्बुधि का नाश होकर सुख की प्राप्ति होती है। हे मां आप कामधेनु गाय की तरह समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करती हो आपकी शरण में देववृक्ष कल्पतरु की छाया के समान सुख मिलता है। आप निराकार भगवान की अद्भुत माया हैं। आपकी शरण में जो कोई भी आता है, वह सारे संकटों से पार पा लेता है अर्थात उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं। आप सरस्वती, लक्ष्मी और काली का रुप हैं। आपकी दीप ज्योति सबसे निराली है। हे मां यदि मां सरस्वती के सौ मुखों से भी कोई आपका गुणगान करता है तो भी वह आपकी महिमा का पार नहीं पा सकता अर्थात वह आपकी महिमा का पूरा गुणगान नहीं कर सकता।

चार वेद की मात पुनीतातुम ब्रह्माणी गौरी सीता
महामन्त्र जितने जग माहींकोउ गायत्री सम नाहीं
सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासैआलस पाप अविद्या नासै
सृष्टि बीज जग जननि भवानीकालरात्रि वरदा कल्याणी

हिन्दी अनुवाद:- हे मां आप ही चारों वेदों की जननी हैं, आप ही भगवान ब्रह्मा की पत्नी ब्रह्माणी हैं, आप ही मां पार्वती हैं, आप ही मां सीता हैं। संसार में जितने भी महामंत्र हैं, कोई भी गायत्री मंत्र के समान नहीं हैं अर्थात गायत्री मंत्र ही सर्वश्रेष्ठ मंत्र है। आपके मंत्र का स्मरण करते ही हृद्य में ज्ञान का प्रकाश हो जाता है व आलस्य, पाप व अविद्या अर्थात अज्ञानता का नाश हो जाता है। आप ही सृष्टि का बीज मंत्र हैं जगत को जन्म देने वाली मां भवानी भी आप ही हैं, अतिंम समय में कल्याण भी हे गायत्री मां आप ही करती हैं।

ब्रह्मा विष्णु रुद्र सुर जेतेतुम सों पावें सुरता तेते
तुम भक्तन की भक्त तुम्हारेजननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे
महिमा अपरम्पार तुम्हारीजय जय जय त्रिपदा भयहारी
पूरित सकल ज्ञान विज्ञानातुम सम अधिक जगमे आना
तुमहिं जानि कछु रहै शेषातुमहिं पाय कछु रहै कलेशा
जानत तुमहिं तुमहिं व्है जाईपारस परसि कुधातु सुहाई
तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाईमाता तुम सब ठौर समाई

हिन्दी अनुवाद:- भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव के साथ-साथ जितने भी देवी देवता हैं, सभी अपना देवत्व आपसे ही प्राप्त करते हैं। जो भक्त आपकी भक्ति करते हैं, आप हमेशा उनके साथ रहती हैं। जिस प्रकार मां को अपनी संतान प्राणों से प्यारी होती है, उसी प्रकार आपको भी अपने भक्त प्राणों से प्यारे हैं। आपकी महिमा तो अपरंपार है। हे त्रिपदा (भु:, भुव:, स्व:) भय का हरण करने वाली गायत्री मां आपकी जय हो, जय हो, जय हो। आपने ने संसार में ज्ञान व विज्ञान की अलख जगाई अर्थात संसार के सारे ज्ञान विज्ञान एवं आध्यात्मिक ज्ञान आपने ही पिरोए हैं। पूरे ब्रह्मांड में कोई भी आपसे श्रेष्ठ नहीं है। आपको जानने के बाद कुछ भी जानना शेष नहीं रहता, ना ही आपको पाने के बाद किसी तरह का दुख किसी तरह का क्लेश जीवन में रहता है। आपको जानने के बाद वह आपका ही रुप हो जाता है जिस प्रकार पारस के संपर्क आने से लोहा भी सोना हो जाता है। आपकी शक्ति हर और आलोकित है, प्रकाशमान हैं, आप सर्वत्र विद्यमान हैं।

ग्रह नक्षत्र ब्रह्माण्ड घनेरेसब गतिवान तुम्हारे प्रेरे
सकल सृष्टि की प्राण विधातापालक पोषक नाशक त्राता
मातेश्वरी दया व्रत धारीतुम सन तरे पातकी भारी
जापर कृपा तुम्हारी होईतापर कृपा करें सब कोई

हिन्दी अनुवाद:- ब्रह्माण्ड में बहुत सारे ग्रह हैं, नक्षत्र हैं ये सब आपकी प्रेरणा, आपकी कृपा, आपके कारण ही गतिशील हैं। आप समस्त सृष्टि में प्राणों का विधान करने वाली हैं, अर्थात सृष्टि को प्राण तत्व आपने ही प्रदान किया है। पालन पोषण से लेकर नष्ट करने वाली भी तुम्हीं हो। हें मां आपका व्रत धारण करने वालों पर आप दया करती हैं व पापी से पापी प्राणी को भी मुक्ति दिलाती हैं। जिस पर भी आपकी कृपा होती है उस पर सभी कृपा करते हैं।

मन्द बुद्धि ते बुधि बल पावेंरोगी रोग रहित हो जावें
दरिद्र मिटै कटै सब पीरानाशै दुःख हरै भव भीरा
गृह क्लेश चित चिन्ता भारीनासै गायत्री भय हारी
सन्तति हीन सुसन्तति पावेंसुख संपति युत मोद मनावें
भूत पिशाच सबै भय खावेंयम के दूत निकट नहिं आवें
जो सधवा सुमिरें चित लाईअछत सुहाग सदा सुखदाई
घर वर सुख प्रद लहैं कुमारीविधवा रहें सत्य व्रत धारी

हिन्दी अनुवाद:- हे मां गायत्री आपके जाप से मंद बुद्धि, बुद्धि बल प्राप्त करते हैं तो रोगियों के रोग दूर हो जाते हैं। दरिद्रता के साथ-साथ तमाम पीड़ाएं कट जाती हैं। आपके जप से ही दुखों व चिंताओं का नाश हो जाता है, आप हर प्रकार के भय का हरण कर लेती हैं। यदि किसी के घर में अशांति रहती है, झगड़े होते रहते हैं, गायत्री मंत्र जाप करने से उनके संकट भी कट जाते हैं। संतान हीन भी अच्छी संतान प्राप्त करते हैं व सुख समृद्धि के साथ खुशहाल जीवन जीते हैं। आप भूत पिशाच सब प्रकार के भय से छुटकारा दिलाती हैं व अंतिम समय में भी यम के दूत उसके निकट नहीं आते अर्थात जो आपका जाप करता है उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। जो सुहागनें ध्यान लगाकर आपका स्मरण करती हैं, उनका सुहाग सदा सुरक्षित रहता है, उन्हें सदा सुख मिलता है। जो कुवांरियां आपका ध्यान लगाती हैं उन्हें सुयोग्य वर प्राप्त होता है। आपके जाप से विधवाओं को सत्य व्रत धारण करने की शक्ति मिलती है।

जयति जयति जगदम्ब भवानीतुम सम ओर दयालु दानी
जो सतगुरु सो दीक्षा पावेसो साधन को सफल बनावे
सुमिरन करे सुरूचि बडभागीलहै मनोरथ गृही विरागी

हिन्दी अनुवाद:- हे मां जगदंबे, हे मां भवानी आपकी जय हो, आपकी जय हो। आपके समान और दूसरा कोई भी दयालु व दानी नहीं है। जो सच्चे गुरु से दीक्षा प्राप्त करता है वह आपके जप से अपनी साधना को सफल बनाता है। आपका सुमिरन व आपमें जो रुचि लेता है वह बहुत ही भाग्यशाली होता है। गृहस्थ से लेकर सन्यासी तक हर कोई आपका जाप कर अपनी मनोकामनाएं पूरी करता है।

अष्ट सिद्धि नवनिधि की दातासब समर्थ गायत्री माता
ऋषि मुनि यती तपस्वी योगीआरत अर्थी चिन्तित भोगी
जो जो शरण तुम्हारी आवेंसो सो मन वांछित फल पावें
बल बुधि विद्या शील स्वभाउधन वैभव यश तेज उछाउ
सकल बढें उपजें सुख नानाजे यह पाठ करै धरि ध्याना

हिन्दी अनुवाद:- हे गायत्री मां आप आठों सिद्धियां नौ निधियों की दाता हैं, आप हर मनोकामना को पूर्ण करने में समर्थ हैं। ऋषि, मुनि, यति, तपस्वी, योगी, राजा, गरीब, या फिर चिंता का सताया हुआ कोई भी आपकी शरण में आता है तो उसे इच्छानुसार फल की प्राप्ति होती है। जो भी आपका ध्यान लगाता है उसे बल, बुद्धि, विद्या, शांत स्वभाव तो मिलता ही है साथ ही उनके धन, समृद्धि, प्रसिद्धि में तेजी से बढ़ोतरी होती है। जो भी आपका ध्यान धर कर यह पाठ करता है उसे कई प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है व उसका वैभव हर प्रकार से बढ़ता है।

!! दोहा !!

यह चालीसा भक्ति युत पाठ करै जो कोई
तापर कृपा प्रसन्नता गायत्री की होय

हिन्दी अनुवाद:- पूरी भक्ति के साथ जो भी इस चालीसा का पाठ करेगा उस पर मां गायत्री प्रसन्न होकर कृपा करती हैं।

Gayatri Aarti

श्री गायत्री जी की आरती

जयति जय गायत्री माता,
जयति जय गायत्री माता ।
सत् मारग पर हमें चलाओ,
जो है सुखदाता ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥

आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जगपालक क‌र्त्री ।
दु:ख शोक, भय, क्लेश कलश दारिद्र दैन्य हत्री ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥

ब्रह्म रूपिणी, प्रणात पालिन जगत धातृ अम्बे ।
भव भयहारी, जन-हितकारी, सुखदा जगदम्बे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥

भय हारिणी, भवतारिणी, अनघेअज आनन्द राशि ।
अविकारी, अखहरी, अविचलित, अमले, अविनाशी ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥

कामधेनु सतचित आनन्द जय गंगा गीता ।
सविता की शाश्वती, शक्ति तुम सावित्री सीता ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥

ऋग, यजु साम, अथर्व प्रणयनी, प्रणव महामहिमे ।
कुण्डलिनी सहस्त्र सुषुमन शोभा गुण गरिमे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥

स्वाहा, स्वधा, शची ब्रह्माणी राधा रुद्राणी ।
जय सतरूपा, वाणी, विद्या, कमला कल्याणी ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥

जननी हम हैं दीन-हीन, दु:ख-दरिद्र के घेरे ।
यदपि कुटिल, कपटी कपूत तउ बालक हैं तेरे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥

स्नेहसनी करुणामय माता चरण शरण दीजै ।
विलख रहे हम शिशु सुत तेरे दया दृष्टि कीजै ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥

काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव द्वेष हरिये ।
शुद्ध बुद्धि निष्पाप हृदय मन को पवित्र करिये ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥

जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता ।
सत् मारग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता ॥

Gayatri Mata Puja Vidhi

श्री गायत्री माता पूजा विधि

  • इस दिन गंगाजल युक्त पानी से स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • गायत्री मंत्र का कम से कम 5 बार जरूर जाप करें।
  • इसके बाद माता गायत्री को साक्षी मानकर उनकी प्रतिमा अथवा तस्वीर की पूजा फल, फूल, धूप-दीप, अक्षत चन्दन, जल आदि से करें।
  • संभव हो तो व्रत उपवास करें।

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