श्री Saraswati Chalisa को शांत मन के साथ, अपने आप को माता के चरणों में समर्पित करते हुए पढ़ने से निश्चित ही धन धान्य में बढ़ोतरी होती है तथा सारे कष्ट दूर हो जाते हैं | यदि आप सम्पूर्ण सरस्वती चालीसा हिंदी में पढ़ना चाहते है तो आप यहाँ पढ़ सकते हैं |
सरस्वती मां तो ज्ञान और कला की देवी हैं, जिन्हें इनका आशीष मिलता है, उसे तो कभी भी किसी भी तरह का अभाव हो ही नहीं सकता है। सरस्वती चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। Saraswati Chalisa के प्रभाव से इंसान धनी बनता है, वो तरक्की करता है। वो हर तरह के सुख का भागीदार बनता है, उसे कष्ट नहीं होता। सरस्वती की कृपा मात्र से ही इंसान सारी तकलीफों से दूर हो जाता है और वो तेजस्वी बनता है।
वसंत पचंमी के पावन दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से ंमां का आर्शीवाद मिलता है। इस दिन आप श्री Saraswati Chalisa का पाठ भी कर सकते हैं।
Saraswati Chalisa Lyrics
सरस्वती चालीसा हिंदी अर्थ सहित
Saraswati Chalisa Lyrics in Hindi
!! दोहा !!
जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।
दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु॥
अर्थ – माता-पिता के चरणों की धूल मस्तक पर धारण करते हुए हे सरस्वती मां, आपकी वंदना करता हूं/करती हूं, हे दातारी मुझे बुद्धि की शक्ति दो। आपकी अमित और अनंत महिमा पूरे संसार में व्याप्त है। हे मां रामसागर (चालीसा लेखक) के पापों का हरण अब आप ही कर सकती हैं।
!! चौपाई !!
जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥
जय जय जय वीणाकर धारी।करती सदा सुहंस सवारी॥
रूप चतुर्भुज धारी माता।सकल विश्व अन्दर विख्याता॥
जग में पाप बुद्धि जब होती।तब ही धर्म की फीकी ज्योति॥
तब ही मातु का निज अवतारी।पाप हीन करती महतारी॥
अर्थ – बुद्धि का बल रखने वाली अर्थात समस्त ज्ञान शक्ति को रखने वाली हे सरस्वती मां, आपकी जय हो। सब कुछ जानने वाली, कभी न मरने वाली, कभी न नष्ट होने वाली मां सरस्वती, आपकी जय हो।
अपने हाथों में वीणा धारण करने वाली व हंस की सवारी करने वाली माता सरस्वती आपकी जय हो। हे मां आपका चार भुजाओं वाला रुप पूरे संसार में प्रसिद्ध है।
जब-जब इस दुनिया में पाप बुद्धि अर्थात विनाशकारी और अपवित्र वैचारिक कृत्यों का चलन बढता है तो धर्म की ज्योति फीकी हो जाती है। हे मां तब आप अवतार रुप धारण करती हैं व इस धरती को पाप मुक्त करती हैं।
वाल्मीकि जी थे हत्यारा।तव प्रसाद जानै संसारा॥
रामचरित जो रचे बनाई।आदि कवि की पदवी पाई॥
कालिदास जो भये विख्याता।तेरी कृपा दृष्टि से माता॥
तुलसी सूर आदि विद्वाना।भये और जो ज्ञानी नाना॥
तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा।केव कृपा आपकी अम्बा॥
अर्थ – हे मां सरस्वती, जो वाल्मीकि जी हत्यारे हुआ करते थे, उनको आपसे जो प्रसाद मिला, उसे पूरा संसार जानता है। आपकी दया दृष्टि से रामायण की रचना कर उन्होंनें आदि कवि की पदवी प्राप्त की। हे मां आपकी कृपा दृष्टि से ही कालिदास जी प्रसिद्ध हुये।
तुलसीदास, सूरदास जैसे विद्वान और भी कितने ही ज्ञानी हुए हैं, उन्हें और किसी का सहारा नहीं था, ये सब केवल आपकी ही कृपा से विद्वान हुए मां। सरस्वती मां को बुद्धि व ज्ञान की देवी कहते हैं, इसलिए संसार में बुद्धि से, ज्ञान से, वाणी से, संगीत से जिन्होंनें जितनी उपलब्धियां हासिल की हैं, सब मां सरस्वती की कृपा मानी जाती है।
करहु कृपा सोइ मातु भवानी।दुखित दीन निज दासहि जानी॥
पुत्र करहिं अपराध बहूता।तेहि न धरई चित माता॥
राखु लाज जननि अब मेरी।विनय करउं भांति बहु तेरी॥
मैं अनाथ तेरी अवलंबा।कृपा करउ जय जय जगदंबा॥
अर्थ – हे मां भवानी, उसी तरह मुझ जैसे दीन दुखी को अपना दास जानकर अपनी कृपा करो। हे मां, पुत्र तो बहुत से अपराध, बहुत सी गलतियां करते रहते हैं, आप उन्हें अपने चित में धारण न करें अर्थात मेरी गलतियों को क्षमा करें, उन्हें भुला दें। हे मां मैं कई तरीके से आपकी प्रार्थना करता हूं, मेरी लाज रखना। मुझ अनाथ को सिर्फ आपका सहारा है। हे मां जगदंबा दया करना, आपकी जय हो, जय हो।
मधुकैटभ जो अति बलवाना।बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना॥
समर हजार पाँच में घोरा।फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा॥
मातु सहाय कीन्ह तेहि काला।बुद्धि विपरीत भई खलहाला॥
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥
चंड मुण्ड जो थे विख्याता।क्षण महु संहारे उन माता॥
रक्त बीज से समरथ पापी।सुरमुनि हदय धरा सब काँपी॥
काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा।बारबार बिन वउं जगदंबा॥
जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा।क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा॥
अर्थ – मधु कैटभ जैसे शक्तिशाली दैत्यों ने भगवान विष्णू से जब युद्ध करने की ठानी, तो पांच हजार साल तक युद्ध करने के बाद भी विष्णु भगवान उन्हें नहीं मार सके। हें मां तब आपने ही भगवान विष्णु की मदद की और राक्षसों की बुद्धि उलट दी। इस प्रकार उन राक्षसों का वध हुआ।
हे मां मेरा मनोरथ भी पूरा करो। चंड-मुंड जैसे विख्यात राक्षस का संहार भी आपने क्षण में कर दिया। रक्तबीज जैसे ताकतवर पापी जिनसे देवता, ऋषि-मुनि सहित पूरी पृथ्वी भय से कांपने लगी थी।
हे मां आपने उस दुष्ट का शीष बड़ी ही आसानी से काट कर केले की तरह खा लिया। हे मां जगदंबा मैं बार-बार आपकी प्रार्थना करता हूं, आपको नमन करता हूं। हे मां, पूरे संसार में महापापी के रुप विख्यात शुंभ-निशुंभ नामक राक्षसों का भी आपने एक पल में संहार कर दिया।
भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई। रामचन्द्र बनवास कराई॥
एहिविधि रावण वध तू कीन्हा।सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा॥12
को समरथ तव यश गुन गाना।निगम अनादि अनंत बखाना॥
विष्णु रुद्र जस कहिन मारी।जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥13
रक्त दन्तिका और शताक्षी।नाम अपार है दानव भक्षी॥
अर्थ – हे मां सरस्वती, आपने ही भरत की मां केकैयी की बुद्धि फेरकर भगवान श्री रामचंद्र को वनवास करवाया। इसी प्रकार रावण का वध भी आपने करवाकर देवताओं, मनुष्यों, ऋषि-मुनियों सबको सुख दिया।
आपकी विजय गाथाएं तो अनादि काल से हैं, अनंत हैं इसलिए आपके यश का गुणगान करने का सामर्थ्य कोई नहीं रखता। जिनकी रक्षक बनकर आप खड़ी हों, उन्हें स्वयं भगवान विष्णु या फिर भगवान शिव भी नहीं मार सकते। रक्त दंतिका, शताक्षी, दानव भक्षी जैसे आपके अनेक नाम हैं।
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥
दुर्ग आदि हरनी तू माता।कृपा करहु जब जब सुखदाता॥
नृप कोपित को मारन चाहे।कानन में घेरे मृग नाहे॥
सागर मध्य पोत के भंजे।अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥
भूत प्रेत बाधा या दुःख में।हो दरिद्र अथवा संकट में॥
नाम जपे मंगल सब होई।संशय इसमें करई न कोई॥
अर्थ – हे मां दुर्गम अर्थात मुश्किल से मुश्किल कार्यों को करने के कारण समस्त संसार ने आपको दुर्गा कहा। हे मां आप कष्टों का हरण करने वाली हैं, आप जब भी कृपा करती हैं, सुख की प्राप्ती होती है, अर्थात सुख देती हैं।
जब कोई राजा क्रोधित होकर मारना चाहता हो, या फिर जंगल में खूंखार जानवरों से घिरे हों, या फिर समुद्र के बीच जब साथ कोई न हो और तूफान से घिर जाएं, भूत प्रेत सताते हों या फिर गरीबी अथवा किसी भी प्रकार के कष्ट सताते हों, हे मां आपका नाप जपते ही सब कुछ ठीक हो जाता है इसमें कोई संदेह नहीं है अर्थात इसमें कोई शक नहीं है कि आपका नाम जपने से बड़े से बड़ा संकट भी टल जाता है, दूर हो जाता है।
पुत्रहीन जो आतुर भाई।सबै छांड़ि पूजें एहि भाई॥
करै पाठ नित यह चालीसा।होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा॥
धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।संकट रहित अवश्य हो जावै॥
भक्ति मातु की करैं हमेशा। निकट न आवै ताहि कलेशा॥
बंदी पाठ करें सत बारा। बंदी पाश दूर हो सारा॥
रामसागर बाँधि हेतु भवानी।कीजै कृपा दास निज जानी।
अर्थ – जो संतानहीन हैं, वे और सब को छोड़कर आप माता की पूजा करें और हर रोज इस चालीसा का पाठ करें, तो उन्हें गुणवान व सुंदर संतान की प्राप्ति होगी। साथ ही माता पर धूप आदि नैवेद्य चढ़ाने से सारे संकट दूर हो जाते हैं। जो भी माता की भक्ति करता है, कष्ट उसके पास नहीं फटकते अर्थात किसी प्रकार का दुख उनके करीब नहीं आता। जो भी सौ बार बंदी पाठ करता है, उसके बंदी पाश दूर हो जाते हैं। हे माता भवानी सदा अपना दास समझकर, मुझ पर कृपा करें व इस भवसागर से मुक्ति दें।
!! दोहा !!
मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप।
डूबन से रक्षा करहु परूँ न मैं भव कूप॥
बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु।
राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदातु॥
अर्थ – हे मां आपकी दमक सूर्य के समान है, तो मेरा रूप अंधकार जैसा है। मुझे भवसागर रुपी कुंए में डूबने से बचाओ। हे मां सरस्वती मुझे बल, बुद्धि और विद्या का दान दीजिये। हे मां इस पापी रामसागर को अपना आश्रय देकर पवित्र करें।
Saraswati Chalisa in English
!! Doha !!
Janak Janani Padmaraj, Nij Mastak Par Dhari ।
Bandaun Matu Saraswati, Buddhi Bal De Datari ॥
Poorn Jagat Mein Vyapt Tav, Mahima Amit Anantu ।
Dushjanon Ke Pap Ko, Matu Tu Hi Ab Hantu ॥
!! Chalisa !!
Jai Shri Sakal Buddhi Balarasi ।
Jai Sarvagy Amar Avinashi ॥
Jai Jai Jai Vinakar Dhari ।
Karati Sada Suhans Savari ॥
Roop Chaturbhuj Dhari Mata ।
Sakal Vishv Andar Vikhyata ॥
Jag Mein Pap Buddhi Jab Hoti ।
Tab Hi Dharm Ki Phiki Jyoti ॥
Tab Hi Matu Ka Nij Avatari ।
Pap Hin Karati Mahatari ॥
Valmikiji the Hatyara ।
Tav Prasad Janai Sansara ॥
Ramacharit Jo Rache Banai ।
Adi Kavi Ki Padavi Pai ॥
Kalidas Jo Bhaye Vikhyata ।
Teri Krpa Drshti Se Mata ॥
Tulasi Soor Adi Vidvana ।
Bhaye Aur Jo Gyani Nana ॥
Tinh Na Aur Raheu Avalamba ।
Kev Krpa Apaki Amba ॥
Karahu Krpa Soi Matu Bhavani ।
Dukhit Deen Nij Dasahi Jani ॥
Putr Karahin Aparadh Bahoota ।
Tehi Na Dhari Chit Mata ॥
Rakhu Laj Janani Ab Meri ।
Vinay Karun Bhanti Bahu Teri ॥
Main Anath Teri Avalamba ।
Krpa Karu Jai Jai Jagadamba ॥
Madhukaitabh Jo Ati Balavana ।
Bahuyuddh Vishnu Se Thana ॥
Samar Hajar Panch Mein Ghora ।
Phir Bhi Mukh Unase Nahin Mora ॥
Matu Sahay Kinh Tehi Kala ।
Buddhi Viparit Bhi Khalahala ॥
Tehi Te Mrtyu Bhi Khal Keri ।
Puravahu Matu Manorath Meri ॥
Chand Mund Jo the Vikhyata ।
Kshan Mahu Sanhare Un Mata ॥
Rakt Bij Se Samarath Papi ।
Suramuni Haday Dhara Sab Kanpi ॥
Kateu Sir Jimi Kadali Khamba ।
Barabar Bin Vaun Jagadamba ॥
Jagaprasiddh Jo Shumbhanishumbha ।
Kshan Mein Bandhe Tahi Too Amba ॥
Bharatamatu Buddhi Phereoo Jai ।
Ramachandr Banavas Karai ॥
Ehividhi Ravan Vadh Too Kinha ।
Sur Naramuni Sabako Sukh Dinha ॥
Ko Samarath Tav Yash Gun Gana ।
Nigam Anadi Anant Bakhana ॥
Vishnu Rudr Jas Kahin Mari ।
Jinaki Ho Tum Rakshakari ॥
Rakt Dantika Aur Shatakshi ।
Nam Apar Hai Danav Bhakshi ॥
Durgam Kaj Dhara Par Kinha ।
Durga Nam Sakal Jag Linha ॥
Durg Adi Harani Too Mata ।
Krpa Karahu Jab Jab Sukhadata ॥
Nrp Kopit Ko Maran Chahe ।
Kanan Mein Ghere Mrg Nahe ॥
Sagar Madhy Pot Ke Bhanje ।
Ati Toophan Nahin Kooo Sange ॥
Bhoot Pret Badha Ya Duhkh Mein ।
Ho Daridr Athava Sankat Mein ॥
Nam Jape Mangal Sab Hoi ।
Sanshay Isamen Kari Na Koi ॥
Putrahin Jo Atur Bhai ।
Sabai Chhandi Poojen Ehi Bhai ॥
Karai Path Nit Yah Chalisa ।
Hoy Putr Sundar Gun Isha ॥
Dhoopadik Naivedya Chadhavai ।
Sankat Rahit Avashy Ho Javai ॥
Bhakti Matu Ki Karain Hamesha ।
Nikat Na Avai Tahi Kalesha ॥
Bandi Path Karen Sat Bara ।
Bandi Pash Door Ho Sara ॥
Ramasagar Bandhi Hetu Bhavani ।
Kijai Krpa Das Nij Jani ।
!! Doha !!
Matu Soory Kanti Tav, Andhakar Mam Roop ।
Dooban Se Raksha Karahu Paroon Na Main Bhav Koop ॥
Balabuddhi Vidya Dehu Mohi, Sunahu Sarasvati Matu ।
Ram Sagar Adham Ko Ashray Too Hi Dedatu ॥
Saraswati Mantra
माता सरस्वती की प्रभावशाली मंत्र
- ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः।
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वीणा पुस्तक धारिणीम् मम् भय निवारय निवारय अभयम् देहि देहि स्वाहा।
- नमः भगवति वद वद वाग्देवि स्वाहा।
- ॐ सरस्वती मया दृष्ट्वा, वीणा पुस्तक धारणीम्।
हंस वाहिनी समायुक्ता मां विद्या दान करोतु में ॐ।। - या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
FAQs about Saraswati Chalisa
Saraswati Chalisa पढ़ने के क्या फायदे हैं ?
सरस्वती चालीसा का पाठ करने के अनगिनत लाभ हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:-
- नियमित तौर पर सरस्वती चालीसा का पाठ करने से भक्तों को ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है, इसलिए विद्यार्थियों को सरस्वती चालीसा का पाठ करने की सलाह दी जाती है |
- सरस्वती चालीसा का पाठ करने से माँ अपने भक्तोओं को किसी भी प्रकार के भौतिक सुखों से वंचित नहीं रखती | यदि भक्त सफ़ेद वस्त्र, मोती तथा पुष्प अर्पण करके माता सरस्वती की पूजा करता है तो माँ सरस्वती बहुत प्रसन्न होती है और भक्तों का उद्धार करती हैं |
- सरस्वती चालीसा का पाठ करने वाला ज्ञानी होता है और विद्वान बनता है तथा माँ की कृपा से पाप और नकारात्मक विचारों से भक्त दूर रहते हैं और ज्ञान और धन की प्राप्ति भी करते हैं |
- सरस्वती माँ की उपासना करने वाले बिना किसी कष्ट के सुख और शांति से अपना जीवन व्यतीत करते हैं |
मां सरस्वती की पूजा करने की सही विधि क्या है ?
सूर्योदय के समय नित्यक्रिया तथा स्नान आदि से निवृत होकर अपने पूजा घर की साफ सफाई करें तत्पश्चात सरस्वती माता की तस्वीर के सामने बैठ जाएं । अब इसके बाद पूजा घर में कलश स्थापित करें और गणेश जी की विधिवत पूजा करें |
सरस्वती माता की पूजा करने से पहले उन्हें स्नान कराएं | अब आप माता को फूल, सिन्दूर तथा अन्य श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें साथ देवी सरस्वती को श्वेत वस्त्र पहनाएं।
बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता को कैसे प्रसन्न करें ?
बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करें तथा माँ के चरणों में गुलाल अर्पित करें इस दिन आप माँ सरस्वती को मालपुए और खीर का भोग अवश्य लगाएं | ऐसा करने से सरस्वती माता बहुत प्रसन्न होती हैं |