Shiv Chalisa Pdf | Shiv Chalisa in Hindi Pdf | Shiv Chalisa Lyrics in Hindi

Shiv Chalisa Pdf : श्री शिव चालीसा भगवान शिव की स्तुति में रचा गया एक भक्ति भजन है। इसका पाठ हिंदुओं द्वारा विशेष अवसरों पर और भगवान शिव को समर्पित त्योहारों के दौरान किया जाता है। इस भजन में आठ छंदों में व्यवस्थित चालीस छंद हैं। प्रत्येक छंद में पाँच छंद हैं। भगवान शिव के दिन सोमवार को भक्तों द्वारा पारंपरिक रूप से शिव चालीसा का पाठ किया जाता है।

भजन की शुरुआत भगवान शिव के पुत्र भगवान गणेश की स्तुति से होती है। इसके बाद इसमें भगवान शिव के विभिन्न पहलुओं और अवतारों का वर्णन किया गया है। आशीर्वाद और सुरक्षा के लिए भगवान शिव से प्रार्थना के साथ भजन का समापन होता है। शिव चालीसा एक सुंदर भजन है जो भगवान शिव के सार को दर्शाता है। यह भगवान शिव के सभी भक्तों को अवश्य पढ़ना चाहिए। महादेव के चालीसा ऑफलाइन में पाठ करने के लिए आप Shiv Chalisa pdf डाउनलोड कर शाक्तें हैं।

चालीसा शब्द की अर्थ होती है चालीस (४०) परन्तु श्री शिव चालीसा में अंतिम चौपाई में ‘श्री अयोध्यादास जी’ ने प्रार्थना की है।  अर्थात कुल ४१ चौपाई और ३ दोहा (परिचय में १, अंतिम में २) है ‘श्री शिव चालीसा’ में।

Shiv Chalisa Pdf

Shiv Chalisa Lyrics in Hindi

शिव चालीसा को हिंदी में पाठ कीजिये – 1

।।ॐ नमो शिवाय।।

||दोहा||

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥1॥

||चौपाई||

जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥ 1॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥ 2॥

अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ 3॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ 4॥

मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ 5॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥ 6 ॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥ 7॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥ 8॥

देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥ 9॥

किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥ 10॥

तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ 11॥

आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥ 12॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥ 13॥

किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥ 14॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ 15॥

वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ 16॥

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥ 17॥

कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥ 18॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥ 19॥

सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥ 20॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥ 21॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥ 22॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥ 23॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥ 24॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥ 25॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥ 26॥

मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥ 27॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥ 28॥

धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥ 29॥

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥ 30॥

शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥ 31॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥ 32॥

नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥ 33॥

जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥ 34॥

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥ 35॥

पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥ 36॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥ 37॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥ 38॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥ 39॥

जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ 40॥

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥ 41॥

||दोहा||

नित्त नेम कर प्रातः ही,पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश ॥ 1॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण ॥ 2॥

।।ॐ नमो शिवाय।।

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शिव चालीसा को हिंदी में पाठ कीजिये – 2

|| दोहा ||

अज अनादि अविगत अलख, अकल अतुल अविकार |
बंदों शिव – पद – युग – कमल, अमल अतीव उदार || 1 ||

आर्तिहरण  सुखकरण शुभ, भक्ति – मुक्ति – दातार |
करौ अनुग्रह दीन लखि, अपनों बिरद विचार || 2 ||

परयों पतित भवकूप, महं सहज नरक आगर |
सहज सुहृद पावन – पतित, सहजहि लेहु उबर || 3 ||

पलक – पलक आशा भरयों, रहयों सूबाट निहार |
ढरौ तुरंत स्वभाववश, नेक न करो अबार || 4 ||

|| चौपाई ||

जय शिव शंकर ओढ़र दानी |
जय गिरीतनया मातु भवानी || 1 ||

सर्वोत्तम योगी योगेश्वर |
सर्वलोक – ईश्वर –  परमेश्वर || 2 ||

सब उर प्रेरक सर्वनियता |
उपद्रस्टा भर्ता  अनुमंता || 3 ||

पराशक्ति-पति अखिल विश्वपति|
 परब्रह्म परमधाम परमगति || 4 ||

सर्वातीत अनन्य सर्वगत |
निजस्वरूप महिमामे स्थितरत || 5 ||

अंगभूती – भूसित शमशानचर |
भुजंगभूषण चंद्रमुकुटधर || 6 ||

वृषवाहन नंदीगणनायक |
 अखिल विश्व के भाग्य – विधायक || 7 ||

व्याघ्रचर्म परिधान मोहर |
रीछचर्म ओढ़े गिरिजावर || 8 ||

कर त्रिशूल डमरूवर राजत |
अभय वरद मुद्रा शुभ संवत || 9 ||

तनु कर्पूर- गोर  उज्ज्वलम |
पिंगल जटाजूट सिर उत्तम || 10 ||

भाल त्रिपुंड मुंडमालाधर |
गल रुद्राक्ष माल शोभाकर || 11 ||

विधि-हरि- रुद्र त्रिविध वपुधारी |
बने  सृजन – पालन – लयकारी || 12 ||

तुम हो नित्य दया के सागर |
आशुतोष   आनंद – उजागर || 13 ||

अति दयालू भोले भंडारी |
अग-जग सबके मंगलकारी || 14 ||

सती – पार्वती के प्राणेश्वर |
 स्कंद-गणेश-जनक शिव   सुखकर || 15 ||

हरि – हर एक रूप गुण शीला |
 करत स्वामी सेवक की लीला || 16 ||

रहते  दोऊ पूजत पूजवावत |
 पूजा पद्धति सबही सीखावत || 17 ||

मारूति बन हरि सेवा किन्हि |
 रामेश्वरम बन सेवा लीन्ही || 18 ||

जग- हित घोर हलाहल पीकर |
 बने सदा शिव नीलकंठ वर || 19 ||

असुरासुर शुचि वरद शुभंकर |
 असुरनिहंता प्रभु प्रलयंकर || 20 ||

‘नम: शिवाय’ मंत्र पंचाक्षर |
 जपत मिटत सब कलेश भयंकर || 21 ||

जो नर-नारी रटत शिव-शिव-नित |
 तिनको शिव अति करत  परमहित || 22 ||

श्री कृष्ण तप कीन्हो भारी |
 है प्रसन्न वर दियों पुरारी || 23 ||

अर्जुन संग लड़े किरात बन |
 दीयों पाशुपत- अस्त्र- मुदित मन || 24 ||

भक्तन के सब  कस्ट निवारे |
 दे निज भक्ति सबहि उधारे || 25 ||

शंखचुड़ जालंधर मारे |
 दैत्य असंख्य प्राण हर तारे || 26 ||

अंधको गणपति पद दिनहो |
 शुक्र शुक्रपथ बाहर कीन्हो || 27 ||

तेहि सजीवनि विद्या दिनही |
 बाणासुर गणपति – गति किन्हो || 28 ||

अष्टमूर्ति पंचानन चिन्मय |
द्वादश ज्योर्तिलिंग ज्योतिर्मय || 29 ||

भुवन चतुर्दश व्यापक रूप |
अकथ अचित्य असीम अनूपा || 30 ||

काशी मरत जंतु अवलोकि |
देत मुक्ति पद करत अशोकी || 31 ||

भक्त भागीरथकी रुचि राखी |
जटा बसी गंगा सुर साखी || 32 ||

रूरू अगस्त्य उपमन्यु ज्ञानी |
ऋषि दधिचि आदिक विज्ञानी || 33 ||

शिव रहस्य शिव ज्ञान प्रचारक |
शिवही परम प्रिय लोकोंद्धारक || 34 ||

इंनके शुभ सुमिरनते शंकर |
 देत मुदित है अति दुर्लभ वर || 35 ||

अति उदार करुणा वरुणालय |
 हरण दैत्य – दारिद्रय – दुःख- भय || 36 ||

तुमहरौ भजन परम हितकारी |
विप्र शुद्र सब ही अधिकारी || 37 ||

बालक वृद्ध नारी – नर ध्यावही |
 ते अलभ्य शिवपदको पावहिं || 38 ||

भेदशून्य तुम सबके स्वामी |
 सहज सुहृद सेवक अनुगामी || 39 ||

जो जन शरण तुम्हारि आवत |
 सकल दुरित तत्काल नशावत  || 40 ||

Shiv Chalisa Audio

Shiv Chalisa Lyrics in English

|| Doha ||

Jai Ganesh Girija Suvan
Mangal Mul Sujan


Kahat Ayodhya Das
Tum Dey Abhaya Varadan

|| Chopai ||

Jai Girija Pati Dinadayala
Sada Karat Santan Pratipala || 1


Bhala Chandrama Sohat Nike
Kanan Kundal Nagaphani Ke || 2

Anga Gaur Shira Ganga Bahaye
Mundamala Tan Chhara Lagaye | 3


Vastra Khala Baghambar Sohain
Chhavi Ko Dekha Naga Muni Mohain || 4

Maina Matu Ki Havai Dulari
Vama Anga Sohat Chhavi Nyari || 5


Kara Trishul Sohat Chhavi Bhari
Karat Sada Shatrun Chhayakari || 6

Nandi Ganesh Sohain Tahan Kaise
Sagar Madhya Kamal Hain Jaise || 7

 
Kartik Shyam Aur Gana rauo
Ya Chhavi Ko Kahi Jata Na Kauo || 8

Devan Jabahi Jaya Pukara
Tabahi Dukha Prabhu Apa Nivara || 9


Kiya Upadrav Tarak Bhari
Devan Sab Mili Tumahi Juhari || 10

Turata Shadanana Apa Pathayau
Luv nimesh Mahi Mari Girayau || 11


Apa Jalandhara Asura Sanhara
Suyash Tumhara Vidit Sansara || 12

Tripurasur Sana Yudha Machai
Sabhi Kripakar Lina Bachai || 13


Kiya Tapahin Bhagiratha Bhari
Purahi Pratigya Tasu Purari || 14

Darpa chod Ganga thabb Aayee
Sevak Astuti Karat Sadahin || 15


Veda Nam Mahima Tav Gai
Akatha Anandi Bhed Nahin Pai || 16

Pragati Udadhi Mantan te Jvala
Jarae Sura-Sur Bhaye bihala || 17


Mahadev thab Kari Sahayee,
Nilakantha Tab Nam Kahai || 18

Pujan Ramchandra Jab Kinha
Jiti Ke Lanka Vibhishan Dinhi || 19


Sahas Kamal Men Ho Rahe Dhari
Kinha Pariksha Tabahin Purari || 20

Ek Kamal Prabhu Rakheu goyee
Kushal-Nain Pujan Chahain Soi || 21


Kathin Bhakti Dekhi Prabhu Shankar
Bhaye Prasanna Diye-Ichchhit Var || 22

Jai Jai Jai Anant Avinashi
Karat Kripa Sabake Ghat Vasi || 23


Dushta Sakal Nit Mohin Satavai
Bhramat Rahe Man Chain Na Avai || 24

Trahi-Trahi Main Nath Pukaro
Yahi Avasar Mohi Ana Ubaro Lai || 25


Trishul Shatrun Ko Maro
Sankat Se Mohin Ana Ubaro || 26

Mata Pita Bhrata Sab Hoi
Sankat Men Puchhat Nahin Koi || 27


Swami Ek Hai Asha Tumhari
Ai Harahu Ab Sankat Bhari || 28

Dhan Nirdhan Ko Deta Sadahin
Arat jan ko peer mitaee, || 29


Astuti Kehi Vidhi Karai Tumhari
Shambhunath ab tek tumhari || 30

Dhana Nirdhana Ko Deta Sadaa Hii
Jo Koi Jaanche So Phala Paahiin || 31


Astuti Kehi Vidhi Karon Tumhaarii
Kshamahu Naatha Aba Chuuka Hamaarii || 32

Shankar Ho Sankat Ke Nashan
Vighna Vinashan Mangal Karan || 33


Yogi Yati Muni Dhyan Lagavan
Sharad Narad Shisha Navavain || 34

Namo Namo Jai Namah Shivaya
Sura Brahmadik Par Na Paya || 35


Jo Yah Patha Karai Man Lai
To kon Hota Hai Shambhu Sahai || 36

Riniyan Jo Koi Ho Adhikari
Patha Karai So Pavan Hari || 37


Putra-hin Ichchha Kar Koi
Nischaya Shiva Prasad Tehin Hoi || 38

Pandit Trayodashi Ko Lavai
Dhyan-Purvak Homa Karavai || 39


Trayodashi Vrat Kare Hamesha
Tan Nahin Take Rahe Kalesha || 40

Dhoop Diipa Naivedya Chadhaave
Shankara Sammukha Paatha Sunaave || 41


Janma Janma Ke Paapa Nasaave
Anta Dhaama Shivapura Men Paave || 42

|| Dohaa ||

Nitya Nema kari Pratahi
Patha karau Chalis
Tum Meri Man Kamana
Purna Karahu Jagadisha

FAQs about Shiv Chalisa

Q1. शिव चालीसा का पाठ कैसे करना चाहिए? (how to recite Shiv Chalisa)

  • शिव चालीसा का पाठ हमेशा सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद ही पढ़नी चाहिए।
  • शिव चालीसा का पाठ स्वच्छ कपड़े पहनकर करें।
  • पाठ करते समय अपना मुंह पूर्व दिशा की ओर रखें।
  • पाठ करने पहले भगवान शिव की तस्वीर स्थापित करें और तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाएं।
  • फोटो के पास तांबे के लोटे में साफ जल में गंगाजल मिलाकर रख दें।
  • पूजा में धूप, दीप, सफेद चंदन, माला और 5 सफेद फूल रखें।
  • प्रसाद के तौर पर मिश्री का इस्तेमाल करें।
  • इसके बाद शिव चालीसा का पाठ पढ़ना शुरू करें।
  • शिव चालीसा का पाठ बोल बोलकर करें क्योंकि जितने लोग यह सुनेंगे उनके भी उतना ही लाभ मिलेगा।

Q2. शिव चालीसा पढ़ने से क्या फल मिलता है? (What is the result of reading Shiv Chalisa)

भगवान शिव अपने भक्तों पर जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। भोलेनाथ को उनकी सौम्य आकृति के साथ उनके रौद्ररूप के लिए पहचाना जाता है। भगवान शिव भोले स्वभाव के होने के कारण भगवान भोलेनाथ कहलाते हैं. उनकी शिव चालीसा का पाठ करने से वो अपने किसी भी भक्त से आसानी से मान जाते हैं और उन्हें मनचाहा वरदान दे देते हैं।

Q3. शिव चालीसा कितने होते हैं? (how much is shiv chalisa)

शिव चालीसा को शिव पुराण से लिया गया है और शिव पुराण के रचयिता महर्षि वेद व्यास हैं. शिव चालीसा में चालीस पंक्तियां हैं, जिनमें देवों के देव महादेव शिव की स्तुतिगान है. कहते हैं इसे चालीस बार लयबद्ध पाठ करने से भगवान शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है

Q4. शिव चालीसा किसने लिखी थी? (who wrote shiv chalisa)

चालीस चौपाई की शिव चालीसा जो शिव पुराण से ली गई है , ऋषि अयोध्या दास द्वारा लिखी गई है। शिव चालीसा में भगवान शिव की महिमा का गुणगान किया गया है। लोगों का मानना ​​है कि अत्यधिक भक्ति के साथ नियमित पाठ करने से भक्त के जीवन से सभी बाधाएं और समस्याएं दूर हो जाती हैं।